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शिव पूजा में खस (वेटिवर) की जड़ का महत्व
खस, जिसे वेटिवर भी कहा जाता है, एक सुगंधित जड़ी-बूटी है जिसका प्रयोग पूजा और आध्यात्मिक साधनाओं में किया जाता है। विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा में इसका उपयोग पवित्रता, शुद्धि और शीतलता प्रदान करने के लिए किया जाता है।
शिव पूजा में खस की जड़ के लाभ
- पवित्र और सुगंधित जल तैयार करना – खस की जड़ों को पानी में डालकर शिवलिंग का अभिषेक करने से जल शुद्ध और सुगंधित हो जाता है।
- शीतलता प्रदान करना – भगवान शिव को शीतलता प्रिय है। खस में प्राकृतिक ठंडक होती है, जो शिव पूजा में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखती है।
- वातावरण को शुद्ध करना – खस की सुगंध वातावरण को शुद्ध और सकारात्मक बनाती है, जिससे ध्यान और पूजा में एकाग्रता बढ़ती है।
- भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना – खस का उपयोग शिवलिंग अभिषेक में करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
शिव पूजा में खस की जड़ का उपयोग कैसे करें?
- अभिषेक जल में मिलाकर – खस की जड़ों को रातभर पानी में भिगोकर रखें और अगले दिन इस जल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
- पूजा स्थल पर रखें – खस की जड़ों को पूजा स्थल पर रखने से वातावरण सुगंधित और शांत रहता है।
शिव मंत्र और खस अभिषेक
शिवलिंग पर खस युक्त जल चढ़ाते समय यह मंत्र जप सकते हैं –
📿 "ॐ नमः शिवाय"
📿 "अरुणाचल शिव"
📿 "ॐ महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धीमहि। तन्नो शिवः प्रचोदयात्॥"
निष्कर्ष: खस की जड़ का उपयोग शिव पूजा में करने से मन को शांति मिलती है, वातावरण शुद्ध होता है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। 🚩